STORY OF LOVE OF A CHILD FOR HIS MOTHER.


दोस्तों ये कहानी एक बच्चे का अपनी माँ के प्रति स्नेह की है।
    














इस कहानी में एक बच्चा है जिसकी उम्र 6 साल है।  और उसकी एक माँ है जो की ज्यादातर बीमार रहती है। वो रास्ते में भीख मांगती है और अपना और अपने 6 साल के बच्चे को पालती है। उस बच्चे का उसकी माँ के अलावा और कोई सहारा नहीं होता है। एक दिन उसकी माँ ज्यादा बीमार हो जाती है और उसका बच्चा जो की बाहर गली के बच्चो के साथ खेल रहा होता है।  वो घर में आता है तो पाता है की उसकी माँ बहुत ही बीमार है और उससे बात तक नहीं कर रही है। वो बच्चा रोना शुरू कर देता है और पूछता है माँ आप मुझसे बात क्यों नहीं कर रही हो। तो उसकी माँ उसे जवाब देती है की उसकी तबीयत ख़राब हे इसलिए वो उससे बात नहीं कर रही है। वो फिर भी नहीं मानता है और जिद करने लग जाता है की बात करो माँ तो फिर माँ उससे कहती है की बेटा एक काम करो उस अलमीरा में दवाई रखी है वो मुझे दे दो । तो बच्चा जल्दी से उस अलमीरा की तरफ भागता है और उस दवाई को ढूंढने लग जाता है उसे दवाई तो नहीं पर एक डॉक्टर की लिखी पर्ची मिल जाती है वो अपनी माँ से कहता है की माँ दवाई तो नहीं ये कोई पर्ची रखी है।  तो उसकी माँ उससे कहती है बेटा लगता है दवाई तो ख़त्म हो गयी।  इतना सुनते ही वो बच्चा भागते हुए मेडिकल पर जाता है और वो पर्ची मेडिकल मालिक को दे देता है।  दुकान का मालिक उससे पूछता है की बेटा कौन बीमार है तो बच्चा जवाब देता है की उसकी माँ बीमार है। दुकान का मालिक जो की करीब 70 साल की उम्र का होता है उसका बचपन भी किसी समय इसी दौर से गुजरा होता है। वो उस बच्चे का उसकी माँ के प्रति स्नेह को समझता जाता है।और वो उस बच्चे से कहता है बेटा 1000 रुपये की दवाई हो गयी।  तो वो बच्चा जिसके पास में पैसे तो नहीं होते है। लेकिन उसकी जेब में कुछ पत्थर होते है जिनसे वो गली में खेल रहा था ।  वो पत्थर उस दुकान के मालिक को दे देता है और उनसे पूछता है। अंकल  कुछ कम है क्या तो अंकल जवाब देते है की नहीं बेटा ये तो बहुत ज्यादा है और ऐसा कह के कुछ पत्थर रख लेता है और कुछ उसे वापस कर देता है। ये सब उसका नौकर देख रहा होता है वो उस बच्चे के जाने के बाद वो मालिक से पूछता है की आपने इतनी महंगी दवाई उस बच्चे को कुछ पत्थर के बदले में ही दे दी।  तो  मालिक कहता है की तुमने सिर्फ उसके पत्थर देखें। लेकिन मेने उन पत्थर में पेसो से बड़ी चीज उस बच्चे का अपनी माँ के प्रति स्नेह देखा। क्यूंकि आज के दिन उसके लिए पत्थर की कीमत उन पेसो से कंही ज्यादा है जिन्हे वो जानता तक नहीं है। और वो अपनी माँ की दवाई के लिए मुझे दे कर चला गया। लेकिन जब उसे इस बात का पता लगेगा तो वो जरूर कहेगा की इस दुनिया में अच्छे लोग भी होते है। और वो भी कभी कोई अच्छा काम करने और किसी जरुरत मंद की जरुरत को पूरा करने से नहीं पीछे नहीं हटेगा। 


मोरल ऑफ़ स्टोरी - कभी भी किसी अच्छे काम को करो तो उस काम को देखो जो की किस मकसत से किया जा रहा है न की पेसो के पॉइंट ऑफ़ व्यू से। क्यूंकि हर काम पेसो के लिए नहीं होता और पैसा हमेशा हर काम के लिए नहीं होता।  















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